था बेहतर , रहा नहीं था बेहतर , रहा नहीं
दोहरी ज़िंदगी का पैमाना नापा नहीं जाता... दोहरी ज़िंदगी का पैमाना नापा नहीं जाता...
लड़खड़ाता रहा, थकता रहा पर ना रोया वो ना वो घबराया एक नई उम्मीद लेकर फिर मंज़िल की तलाश में भटकता ... लड़खड़ाता रहा, थकता रहा पर ना रोया वो ना वो घबराया एक नई उम्मीद लेकर फिर मंज़ि...
जन्म से ही समझे इन्सान है नश्वर ये तन आता जाता रहता धन जन्म से ही समझे इन्सान है नश्वर ये तन आता जाता रहता धन
मन्त्र दिया है हारकर जीतने का पहले खुद सुनकर फिर बोलने की। मन्त्र दिया है हारकर जीतने का पहले खुद सुनकर फिर बोलने की।
गुमनाम ख़यालों की नज़्में बना मैं गुनगुना रहा हूँ , बड़ी अरसों के बाद खुद से गुफ़्तग गुमनाम ख़यालों की नज़्में बना मैं गुनगुना रहा हूँ , बड़ी अरसों के बाद खुद ...